आदर्श पात्र से कम स्तर का कुछ भी स्वीकार्य नहीं हो सकता! आप जो भी करे, पूरा आग्रह रखे की श्रेष्ठ ही हो ये बात थोडी अव्यवहारिक लगे, किन्तु आज की परिस्थिति में जो सभी मापदंडो पर खरा हो वहि स्वीकार्य होता है हम अपने चारो और देखे, हमारे प्रयोग में आने वाली हर चीज हम वोही स्वीकार करते है जो हमारी परिस्थिति के अनुसार श्रेष्ठ है चाहे वो मोबाईल हो या वाहन हो या खाना हो या कपडे ... हम कहते है की भाई दो पेसे ज्यादा लेलो पर चीज अच्छी देना तो फिर जब हमारी बारी आये, तो किसी तरह का "चलेगा.." वाला आचरण क्यों रहे सब कुछ आदर्श नहीं हो सकता, किन्तु आदर्श बनने का आग्रह हर काम में रखना होगा इसलिये आज के समय में जब कंपनिया कर्मचारियों को नोकरी से निकालती है तो उसमे से श्रेष्ठ कर्मचारियों को नहीं निकालती इसके लिए शुरुआत उन बातो से करो जो सहज में हमें आनी ही चाहीये यदि एन बातो के लिए भी हमें अपने गुरु या माता-पिता द्बारा बार-बार कहनी पड़े तो शर्म की बात है कुछ उदाहरण देता हु, जिसमे ये बात समझ में आ सकती है, जैसेकी : मुझे अपने पडोसी से क्यों अनुरोध करना पड़े की, म्यूजिक धीमा बजाओ, घर के बाहर जूठन मत ...
Understand any Rishte & Nate - Between Human, Things, Dream, Nature, thoughts, Habit, Desire, Passion, Lust, Creativity, Weakness, Career and Fear of Unknown etc. This blog is to share and learn from the people. Anything happening anywhere can be discussed. There is always a way out for any problem. Counseling, guidance, mentoring and advising is something which get you so much in return as satisfaction of being of use to someone. Bring light in life by very personal interaction on any topic.