You don't seem to be Mumbaikar... Why?... You are not wearing ear piece for FM Radio.
Oh! I got it and started listening FM. It was a relief to avoid in Bus to listen any Bad noise.
Within 4 days I got complete feel of how and what is being served by FM Radios.
Unfortunately they have only few songs that too of some amateur Singer and composer. There is nothing which can be called as a song. It is Band noise. There is no melody but Lot of Drum, unwanted Guitar pieces, and nasal singer with absurd lyrics.
Above all the RJs, who shout messing up all languages, I find it to uncomfortable to tune and stay on one FM Station. After few minutes I switch back to MP3 Songs. The RJs sound like hawkers, selling their stations.
The callers! My god they feel if their name is announced on Radio, they will be getting the ultimate gift in life. Few callers seem to be sitting in front of phone and they have answer and opinion for any dam question. Millions are supposed to listen those stupid and illogical conversations.
आदर्श पात्र से कम स्तर का कुछ भी स्वीकार्य नहीं हो सकता! आप जो भी करे, पूरा आग्रह रखे की श्रेष्ठ ही हो ये बात थोडी अव्यवहारिक लगे, किन्तु आज की परिस्थिति में जो सभी मापदंडो पर खरा हो वहि स्वीकार्य होता है हम अपने चारो और देखे, हमारे प्रयोग में आने वाली हर चीज हम वोही स्वीकार करते है जो हमारी परिस्थिति के अनुसार श्रेष्ठ है चाहे वो मोबाईल हो या वाहन हो या खाना हो या कपडे ... हम कहते है की भाई दो पेसे ज्यादा लेलो पर चीज अच्छी देना तो फिर जब हमारी बारी आये, तो किसी तरह का "चलेगा.." वाला आचरण क्यों रहे सब कुछ आदर्श नहीं हो सकता, किन्तु आदर्श बनने का आग्रह हर काम में रखना होगा इसलिये आज के समय में जब कंपनिया कर्मचारियों को नोकरी से निकालती है तो उसमे से श्रेष्ठ कर्मचारियों को नहीं निकालती इसके लिए शुरुआत उन बातो से करो जो सहज में हमें आनी ही चाहीये यदि एन बातो के लिए भी हमें अपने गुरु या माता-पिता द्बारा बार-बार कहनी पड़े तो शर्म की बात है कुछ उदाहरण देता हु, जिसमे ये बात समझ में आ सकती है, जैसेकी : मुझे अपने पडोसी से क्यों अनुरोध करना पड़े की, म्यूजिक धीमा बजाओ, घर के बाहर जूठन मत ...
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