आदर्श पात्र से कम स्तर का कुछ भी स्वीकार्य नहीं हो सकता!
आप जो भी करे, पूरा आग्रह रखे की श्रेष्ठ ही हो ये बात थोडी अव्यवहारिक लगे, किन्तु आज की परिस्थिति में जो सभी मापदंडो पर खरा हो वहि स्वीकार्य होता हैहम अपने चारो और देखे, हमारे प्रयोग में आने वाली हर चीज हम वोही स्वीकार करते है जो हमारी परिस्थिति के अनुसार श्रेष्ठ है चाहे वो मोबाईल हो या वाहन हो या खाना हो या कपडे ... हम कहते है की भाई दो पेसे ज्यादा लेलो पर चीज अच्छी देना
तो फिर जब हमारी बारी आये, तो किसी तरह का "चलेगा.." वाला आचरण क्यों रहे
सब कुछ आदर्श नहीं हो सकता, किन्तु आदर्श बनने का आग्रह हर काम में रखना होगा
इसलिये आज के समय में जब कंपनिया कर्मचारियों को नोकरी से निकालती है तो उसमे से श्रेष्ठ कर्मचारियों को नहीं निकालती
इसके लिए शुरुआत उन बातो से करो जो सहज में हमें आनी ही चाहीये यदि एन बातो के लिए भी हमें अपने गुरु या माता-पिता द्बारा बार-बार कहनी पड़े तो शर्म की बात है
कुछ उदाहरण देता हु, जिसमे ये बात समझ में आ सकती है, जैसेकी :
- मुझे अपने पडोसी से क्यों अनुरोध करना पड़े की, म्यूजिक धीमा बजाओ, घर के बाहर जूठन मत डालो, ....!
- तम्बाकू या पान खाने वाला कैसे किसी सार्वजनिक जगह पर थुक सकता है!
- बिच रास्ते में खड़े व्यक्ति को क्यू एक्स्युस मी कहना पड़े!
- कर्मचारियों या विद्यार्थियों को संस्था के अनुशाशन के बारे में बारबार क्यू कहना पड़े!
- रसोई में कोई जूता पहन के कोई कैसे आ सकता है!
- उत्सव में कैसे कोई बिना रेशमी वस्त्रो के जा सकता है!
मेने पिछले लेख "आत्म चिंतन" में भी इसी बात पर जोर दिया था की आपको श्रेष्ठ बनना है तो जानना होगा की निम्न क्या है जो आप कभी भी नहीं बनोगे
हम स्वभाविक रूप से श्रेष्ठ ही होते है, लेकिन कुछ निम्न बाते जीवन में इतनी हावी हो जाती है की हमें फिर से मेहनत करनी पड़ती है
मेने सर्वोत्तम की बात नहीं करी है, श्रेष्ठ/आदर्श होने की दृढ़ इच्छा और प्रयास की बात करता हु
- दोड़ में प्रथम ही आओ ये बात नहीं करता किन्तु वक्त पड़ने पर कई मिल दोड़ सको
- नेता की तरह भाषण बोलने को नहीं कह रहा, किन्तु सही बात समाज को समझाने की क्षमता की बात कर रहा हु
- सचिन सर्वोत्तम है, लेकिन में गौतम गंभीर की बात कर रहा हु जो श्रेष्ठ है
"जो काम करेगा, उसीको वो काम आएगा"
Comments
Bahut hi Accha likha hai....aur itna accha samjhaya hai...jaise koi kissi bacche ko pyar se samjha raha ho.
Hum agar iss ARTCILE par thoda bhi dhyan de, to bahut kuchh sudhar sakta hai. Bahut Baarik Baat hai par bahut gahari baat hai
Great piece of writing
I firmly believe in the fact that set and follow perfectionist ideals and discover the ideal person in yourself.
Very rightly said that everybody has a superior self, but the inferior self takes over with the "chalta hai" approach. Discover and enrich your superior self... and you are set on your path towards excellence.
your expression is brilliant. Keep it up.
agar hum 100% ke kaam karenge to hum 80-85% paa sakte hai.
hum jeevan me agar in chhoti-chhoti baton ka dhyan rakhe to life me tension nahi aayegi.
Mere jaise kai ladako ka jeevan banaya hai.
Me hamesh chata tha ki Deepak Sir ko kabhi baad me kuch naa karna pade aur me kuch aisa karu ki unko kuch naa karna pade.
Me apni identity us vayakti ki tarah nahi chhupa raha, me Sir ko personally bata dunga.
Sir meri jingagi aap ki dein hai